Supreme Court Big Decision – सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है जिससे पूरे देश की बेटियों के लिए न्याय की नई राह खुल गई है। अब शादीशुदा बेटियों को भी पिता की संपत्ति में बराबर का अधिकार मिलेगा, चाहे उनकी शादी हो चुकी हो या नहीं। यह फैसला उस पुराने भ्रम को खत्म करता है जिसमें माना जाता था कि शादी के बाद बेटियों का हक खत्म हो जाता है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, बेटियां भी बेटे की तरह समान उत्तराधिकारी हैं और उन्हें भूमि सहित सभी पैतृक संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा। इस फैसले के लागू होने से लाखों महिलाएं जो वर्षों से अपने अधिकारों से वंचित थीं, अब न्याय की उम्मीद कर सकती हैं। यह निर्णय संविधान में दिए गए समानता के अधिकार को मजबूत करता है और समाज में महिलाओं की स्थिति को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला और इसकी कानूनी मान्यता
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि बेटियों को जन्म से ही पैतृक संपत्ति में अधिकार प्राप्त होता है, भले ही उनकी शादी हो चुकी हो या नहीं। कोर्ट ने 2005 के हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम को आधार बनाते हुए यह स्पष्ट किया कि सभी बेटियां बेटे के बराबर उत्तराधिकारी हैं। पहले कई मामलों में यह विवाद रहा कि यदि बेटी की शादी हो गई है तो क्या वह पिता की जमीन या संपत्ति में दावा कर सकती है। इस पर अब अदालत ने कहा कि शादीशुदा बेटियों को भी समान हिस्सा मिलेगा और किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकता। यह फैसला राज्यों में चल रहे भूमि विवादों को कम करने में सहायक सिद्ध होगा और बेटियों को उनका हक दिलाने में मील का पत्थर साबित होगा।
संपत्ति बंटवारे में अब क्या बदलाव होगा?
इस फैसले के लागू होते ही हर राज्य में जहां जमीन का उत्तराधिकार विवाद चल रहा है, वहां अब बेटियों को भी शामिल किया जाएगा। पहले कई पंचायतें और पटवारी बेटियों को नामजद नहीं करते थे, लेकिन अब अदालत के आदेश के बाद यह अनिवार्य हो जाएगा कि बेटियों का नाम भी जमीन रिकॉर्ड में दर्ज हो। बंटवारे के समय बेटियों को भाईयों के बराबर हिस्सा दिया जाएगा, और यदि ऐसा नहीं होता है तो वे अदालत में केस कर सकती हैं। यह बदलाव ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगा, जहां आज भी संपत्ति को लेकर महिलाओं के साथ भेदभाव आम बात है।
शादीशुदा बेटियों के लिए आवेदन की प्रक्रिया
यदि कोई शादीशुदा बेटी अपने पिता की संपत्ति में अधिकार चाहती है, तो उसे सबसे पहले संबंधित तहसील या राजस्व कार्यालय में आवेदन देना होगा। आवेदन के साथ उसे अपने और अपने पिता का वैध दस्तावेज, जैसे राशन कार्ड, आधार कार्ड, जमीन का रिकॉर्ड (खतौनी) आदि संलग्न करने होंगे। यदि पिता की मृत्यु हो चुकी है, तो मृत्यु प्रमाण पत्र भी देना अनिवार्य है। आवेदन के बाद राजस्व अधिकारी जांच करेंगे और यदि सब कुछ सही पाया गया तो बेटी का नाम भी जमीन में जोड़ दिया जाएगा। यदि अधिकारी आनाकानी करें, तो वह महिला कोर्ट में जाकर अधिकार की मांग कर सकती है।
बेटियों को अधिकार मिलने से समाज में क्या बदलाव आएंगे?
इस निर्णय से समाज में बेटियों की स्थिति पहले से अधिक सशक्त होगी। अब माता-पिता अपनी बेटियों को लेकर मानसिक रूप से अधिक सुरक्षित महसूस करेंगे कि उनकी शादी के बाद भी वह संपत्ति में हकदार रहेंगी। इससे महिलाओं की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और उन्हें अपने जीवन में निर्णय लेने की आजादी भी मिलेगी।
