Check Bounce News – चेक बाउंस न्यूज़ : चेक बाउंस होना अब एक गंभीर अपराध माना गया है, और इसके लिए कानून में कड़ी सज़ा तय की गई है। अगर किसी व्यक्ति का चेक बाउंस होता है, तो उसे न केवल आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है बल्कि जेल और भारी जुर्माने का भी सामना करना पड़ सकता है। नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत, अगर चेक भुगतान अस्वीकृत होता है, तो आरोपी को दो साल तक की सजा या चेक की राशि के दोगुने तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। कई मामलों में, अदालतें ऐसे मामलों में समझौता का मौका भी देती हैं, लेकिन जानबूझकर चेक बाउंस करने वालों पर कोई राहत नहीं दी जाती। इसलिए यह जरूरी है कि चेक जारी करने से पहले खाते में पर्याप्त धनराशि सुनिश्चित की जाए, ताकि कोई कानूनी मुसीबत न हो।

चेक बाउंस के मामलों में सजा और जुर्माना
अगर आपका चेक बाउंस होता है, तो अदालत इसको गंभीर अपराध के रूप में देखती है। चेक बाउंस का मतलब यह है कि बैंक ने आपके चेक को अस्वीकार कर दिया क्योंकि आपके खाते में पर्याप्त राशि नहीं थी या कोई तकनीकी त्रुटि पाई गई। ऐसे मामलों में शिकायतकर्ता अदालत में केस दर्ज कर सकता है, और आरोपी को समन जारी किया जाता है। अगर आरोपी दोषी पाया जाता है, तो उसे छह महीने से लेकर दो साल तक की जेल और चेक राशि के दोगुने तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। साथ ही, कई बार अदालत आरोपी को भुगतान न करने की स्थिति में उसकी संपत्ति जब्त करने का आदेश भी दे सकती है।
चेक बाउंस से बचने के जरूरी उपाय
चेक बाउंस से बचने के लिए सबसे पहले अपने खाते की बैलेंस पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। किसी को भी चेक जारी करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि खाते में पर्याप्त राशि उपलब्ध है। इसके अलावा, चेक पर हस्ताक्षर बैंक रिकॉर्ड के अनुसार ही करें क्योंकि हस्ताक्षर में अंतर होने से भी चेक बाउंस हो सकता है। साथ ही, चेक की तारीख और राशि स्पष्ट और सही तरीके से भरें। यदि आप पोस्ट-डेटेड चेक जारी कर रहे हैं, तो उस दिन तक खाते में पर्याप्त फंड सुनिश्चित करें। छोटे-छोटे सावधानी भरे कदम कानूनी झंझटों से आपको दूर रख सकते हैं।
कोर्ट में केस दर्ज होने की प्रक्रिया
अगर किसी का चेक बाउंस होता है, तो लाभार्थी को बैंक से “डिशऑनर मेमो” प्राप्त करना होता है। इसके बाद, 30 दिनों के अंदर चेक जारी करने वाले को नोटिस भेजना अनिवार्य है, जिसमें भुगतान की मांग की जाती है। यदि आरोपी 15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं करता, तो शिकायतकर्ता अदालत में मामला दर्ज कर सकता है। अदालत मामले की सुनवाई के बाद आरोपी को दोषी ठहरा सकती है। इस पूरी प्रक्रिया में समय और धन दोनों लगते हैं, इसलिए समय पर भुगतान करना ही सबसे अच्छा विकल्प होता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह कानूनी और पारदर्शी होती है।
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चेक बाउंस से जुड़े नए नियम और बदलाव
हाल के वर्षों में सरकार ने चेक बाउंस मामलों को लेकर कई बदलाव किए हैं ताकि शिकायतकर्ता को शीघ्र न्याय मिल सके। अब ऐसे मामलों में कोर्ट को आदेश दिया गया है कि जल्द से जल्द ट्रायल पूरा किया जाए। इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक क्लियरेंस सिस्टम (ECS) और डिजिटल पेमेंट्स के बढ़ते उपयोग से भी चेक बाउंस के मामलों में कमी आई है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि बार-बार चेक बाउंस करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और उन्हें बैंकिंग सिस्टम में ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है। इसलिए, जिम्मेदारीपूर्वक बैंकिंग करें और किसी भी स्थिति में चेक बाउंस से बचें।
