CIBIL Score Check – देशभर के लोन आवेदकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। अब लोन लेने के लिए आपका CIBIL स्कोर अनिवार्य नहीं रहेगा। वित्त मंत्रालय ने 20 अक्टूबर से नया नियम लागू करने का ऐलान किया है, जिसमें बैंकों को निर्देश दिया गया है कि वे केवल CIBIL स्कोर के आधार पर लोन अस्वीकार न करें। इसका सीधा फायदा उन लाखों लोगों को होगा जिनका स्कोर कम है या जिनके पास कोई क्रेडिट हिस्ट्री नहीं है। इस फैसले से छोटे व्यापारियों, किसानों और मध्यम वर्ग के लोगों को आसानी से कर्ज मिल सकेगा। पहले 750 से ऊपर का स्कोर जरूरी होता था, लेकिन अब अन्य मापदंड जैसे आय प्रमाण, नौकरी की स्थिरता, और बैंकिंग व्यवहार को भी महत्व मिलेगा। सरकार का उद्देश्य है कि ज्यादा से ज्यादा लोग वित्तीय सेवाओं से जुड़ सकें और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिले। यह कदम आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी मजबूती देगा।

वित्त मंत्रालय का फैसला – लोन के लिए नई गाइडलाइन
20 अक्टूबर 2025 से लागू होने वाले इस नियम में CIBIL स्कोर अब एकमात्र मापदंड नहीं रहेगा। अब बैंक और NBFC (गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाएं) लोन आवेदन की जांच करते समय आय के स्रोत, नौकरी की स्थिति, पुराने लोन का भुगतान रिकॉर्ड, और बैंक ट्रांजैक्शन को भी ध्यान में रखेंगी। इससे उन लोगों को मदद मिलेगी जिनका स्कोर खराब है लेकिन उनकी वर्तमान आय स्थिति मजबूत है। खासकर कोरोना काल में EMI चूकने वालों को भी अब दोबारा मौका मिलेगा। यह नई प्रणाली बैंकों की लोन स्वीकृति दर बढ़ा सकती है और आर्थिक क्षेत्र को गति प्रदान कर सकती है।
ग्रामीण और स्वरोजगार करने वाले होंगे सबसे बड़े लाभार्थी
इस फैसले से सबसे अधिक फायदा उन लोगों को होगा जो अब तक बैंकिंग सिस्टम से बाहर थे या जिनके पास CIBIL स्कोर नहीं था। खासकर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले किसान, छोटे दुकानदार और स्वरोजगार करने वाले लोग अब आसानी से लोन के पात्र बन सकेंगे। वे अब अपने बिजनेस को बढ़ाने, खेती में निवेश करने या निजी जरूरतों के लिए भी लोन ले सकेंगे। सरकार का मानना है कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा और वित्तीय समावेशन की दिशा में देश एक कदम और आगे बढ़ेगा।
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बैंकों को भी करनी होगी नीति में बदलाव
बैंकों को अब CIBIL स्कोर पर निर्भरता कम करके आवेदकों की प्रोफाइल की गहराई से जांच करनी होगी। उन्हें आय प्रमाण, नौकरी की स्थिरता, खातों का ट्रांजैक्शन, और पुराना कर्ज चुकाने की आदत को आधार बनाकर निर्णय लेना होगा। इससे लोन स्वीकृति की प्रक्रिया थोड़ी समय लेने वाली हो सकती है, लेकिन यह ज्यादा पारदर्शी और न्यायसंगत होगी। बैंकों के लिए यह एक जिम्मेदारी भरा कार्य होगा कि वे सही आवेदक का चयन करें।
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जनता में खुशी की लहर, लोन की उम्मीदें जगीं
इस निर्णय के बाद आम जनता खासकर युवाओं, स्वरोजगारियों और बेरोजगारों में नई उम्मीद जगी है। वे अब सोच पा रहे हैं कि बिना CIBIL स्कोर की चिंता किए भी वे लोन के लिए पात्र हो सकते हैं। यह फैसला आम आदमी को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।
