Diwali Bonus For Employees – दिवाली से पहले आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है। अब ठेका/एजेंसी के जरिए काम करने वाले कर्मियों को “दिवाली बोनस जैसा गिफ्ट” हर महीने मिल सकता है, क्योंकि कई संस्थान बेस पे और वैरिएबल भत्तों को जोड़कर डबल पे-आउट संरचना लागू करने की तैयारी में हैं। इस मॉडल का उद्देश्य महंगाई, किराया, ट्रांसपोर्ट और मेडिकल खर्चों के दबाव को कम करना, नकदी प्रवाह को बेहतर बनाना और स्किल्ड स्टाफ को लंबे समय तक जोड़े रखना है। शुरुआती चरण में सफाई, सुरक्षा, आईटी सपोर्ट, हेल्थकेयर अटेंडेंट, डेटा एंट्री, लॉजिस्टिक्स और कस्टमर सर्विस जैसी भूमिकाओं पर फोकस रहेगा, जहां शिफ्ट-आधारित काम और उच्च टर्नओवर आम है। नीति के साथ अनुपालन को सरल बनाने के लिए केवाईसी, ईपीएफ/ईएसआई और बैंक ई-मैंडेट को भी एकीकृत किया जा सकता है।

किस-किस को मिलेगा फायदा
इस पहल का लाभ वही आउटसोर्स कर्मचारी उठा पाएंगे जो किसी मान्यता प्राप्त वेंडर/एजेंसी के पेरोल पर हैं और जिनका केवाईसी, बैंक खाता, पैन/आधार तथा ईएसआई/ईपीएफ विवरण अपडेटेड है। न्यूनतम जॉइनिंग अवधि, उपस्थिति और परफॉर्मेंस थ्रेसहोल्ड जैसी शर्तें कंपनी-दर-कंपनी अलग हो सकती हैं, पर सामान्यतः 30–60 दिनों की निरंतर सेवाएं और 90%+ उपस्थिति अपेक्षित रहेगी। नगरपालिका सेवाओं, अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों, विनिर्माण इकाइयों, वेयरहाउसिंग, ई-कॉमर्स डिलीवरी और रिटेल चेन में तैनात कर्मियों के लिए प्राथमिकता दिखेगी, क्योंकि इन क्षेत्रों में 24×7 संचालन और शिफ्ट-रोटेशन प्रचलित है। शहर-श्रेणी के आधार पर वेतन-बैंड तय होंगे, ताकि महानगरों में रहने वालों को ऊंचे लिविंग-कॉस्ट के अनुरूप राहत मिल सके, जबकि टियर-2/3 कस्बों में स्थानीय मानक लागू रहेंगे। ठेका अनुबंध, जॉब-रोल, जोखिम-प्रोफाइल और कौशल-स्तर के अनुसार भत्तों का मिश्रण बदलेगा—जैसे नाइट-शिफ्ट, यूनिफॉर्म, हार्ड-ड्यूटी, ट्रांसपोर्ट और मील-कूपन।
दोगुना वेतन कैसे और कब मिलेगा
डबल पे-आउट का तात्पर्य ‘दो किस्तों में सुनिश्चित क्रेडिट’ से है—मिड-मंथ एडवांस और माह-अंत फाइनल सेटलमेंट—जिसमें बेस सैलरी, नियमित भत्ते और पात्र इंसेंटिव पारदर्शी रूप से दर्शाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, ₹18,000 ग्रॉस होने पर ₹9,000 मध्य-माह और ₹9,000 माह-अंत में मिलेंगे; उपस्थिति/उत्पादकता लक्ष्यों की पूर्ति पर अलग से इंसेंटिव जुड़ सकता है। नाइट-शिफ्ट, जोखिम, यूनिफॉर्म, ट्रांसपोर्ट, और भोजन-वाउचर जैसे घटक आवश्यकता अनुसार जोड़े जाते हैं ताकि वास्तविक टेक-होम बढ़े और दैनिक खर्च आसानी से मैनेज हों। जहां पिछली अवधि का एरियर देय है, पहली या दूसरी सैलरी में समायोजन कर दिया जाएगा, जिससे कर्मचारी को एकमुश्त राहत मिल सके। भुगतान पूरी तरह बैंकिंग चैनलों से होगा; इसलिए नाम, खाता संख्या और आईएफएससी का मिलान अनिवार्य रहेगा।
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आवेदन/वेरिफिकेशन प्रक्रिया
सबसे पहले अपने वेंडर-एचआर से लिखित नीति/सर्कुलर की हार्ड-कॉपी या पीडीएफ लें और पात्रता शर्तें ध्यान से पढ़ें। आधार, पैन, बैंक पासबुक/कैंसल्ड चेक, हालिया फोटो, ईएसआई/ईपीएफ यूएएन, जॉइनिंग/ऑफर-लेटर और नवीनतम उपस्थिति शीट तैयार रखें। अधिकांश कंपनियां एक ऑनलाइन फॉर्म जारी करती हैं, जिसमें केवाईसी अपडेट, नो-ड्यूज, बैंक ई-मैंडेट और पीएफ/ईएसआई सहमति की पुष्टि करनी होती है; विवरण भरते समय नाम, जन्म-तिथि और आईएफएससी पासबुक के अनुसार ही दर्ज करें। बायोमेट्रिक उपस्थिति वाले साइट्स पर डिवाइस-सिंक रिपोर्ट या सुपरवाइज़र-सर्टिफिकेट संलग्न करना पड़ सकता है।
सावधानियाँ, नियम और त्वरित सार
यद्यपि यह व्यवस्था बोनस जैसी महसूस हो सकती है, फिर भी यह नियमित वेतन संरचना का हिस्सा है; इसलिए टीडीएस, ईएसआई/ईपीएफ कटौती, ग्रेच्युटी पात्रता, बोनस-अधिनियम और लीव-एन्कैशमेंट के नियम यथावत रहेंगे। ओवरटाइम/हॉलिडे-ड्यूटी का भुगतान फिक्स्ड स्लॉट में जोड़ने के बजाय अलग लाइन-आइटम में दिखाया जाएगा, जिससे पारदर्शिता बनी रहे और ऑडिट आसान हो। अनुबंध समाप्ति के निकट होने पर नवीनीकरण तिथि पर नज़र रखें, वरना लाभ बीच में रुक सकता है। अनधिकृत अनुपस्थिति, सुरक्षा-उल्लंघन या दस्तावेज़ी कमी पर अस्थायी रोक संभव है; ऐसे में सुधारात्मक कार्रवाई/काउंसलिंग का पालन करें। टैक्स-दृष्टि से टेक-होम बढ़ने पर स्लैब-इम्पैक्ट आ सकता है, इसलिए फॉर्म-12बीबी/डिक्लेरेशन समय पर जमा करें और निवेश-प्रूफ सुरक्षित रखें।
